________________
पसन्द नहीं करता था। उसकी भद्दी सूरत व कड़वी वाणी को सुनकर लोग मुंह फेर लेते थे।
दिन भर एक गली से दूसरी गली में, एक बाजार से दूसरे बाजार में आवाज लगाता रहा–'शहद ले लो, शहद'। उसके कर्कश शब्द सुनने वाले के कानों में हथौड़े की तरह पड़ते थे। अतः किसी ने भी उसका शहद नहीं खरीदा।
शाम को थककर बहुत ही परेशान होकर घर पहुँचा। उसकी पत्नी ने उसका चेहरा देखा । वह समझ गई। उसने उपहास करते हुए कहा
बदसूरत व्यक्तियों का शहद भो कडुआ होता है। उसे कोई भी लेना पसन्द नहीं करता। प्रियतम ! तुम दूसरों को अन्य कुछ भी नहीं दे सकते हो तो मत दो, पर अपनो वाणी में तो मधुरता ला ही सकते हो।
जिसको वाणी मधुर है वह जहाँ भी जाता है, वहीं आदर का पात्र बनता है।
वाणी की मधुरता
Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org