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व्यवहार को देखकर चकित था। उसने आचार्य से सनम्र निवेदन किया-गुरुदेव ! निरपराध राजकुमार को मारने का क्या कारण है ?
आचार्य ने मुस्कराते हुए कहा-राजन् ! यह राजकुमार इतना शालीन है और इतना सावधान है कि कभी भी इसे ताड़ना देने का अवसर नहीं मिला। किन्तु इसे राजा बनना है, दूसरों पर शासन करना है। उस समय शासक बनकर यह दूसरों की दण्ड देगा। अतः इसे यह अनुभव होना चाहिए कि दण्ड की वेदना कितनी गहरी होती है। अब यह दण्ड देते समय कभी भी क्रूर नहीं होगा और प्रजा का पुत्रवत् पालन करेगा।
राजा आचार्य की दीर्घदर्शिता को देखकर मुग्ध था।
वेदना का अनुभव
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