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: ७५ : चमत्कारों का प्रदर्शन न करो
प्रभु-भजन में तल्लोन बने हुए राबिया बसरो कुछ बाहर से आये हुए सन्तों के साथ अध्यात्म-चर्चा कर रहे थे। उस समय वहाँ पर हसन बसरी आ गये। उन्होंने राबिया बसरी से कहा- आप लोग यहाँ क्यों बैठे हैं ? चलें,सरोवर के जल पर बैठकर आध्यात्मिक चचा करें।
हसन बसरी पानो पर नाव की तरह चल सकते थे। वे वहाँ पर बैठे हुए सभी व्यक्तियों को इस चमत्कार से चमत्कृत करना चाहते थे। सन्त राबिया इस रहस्य को जानते थे। हसन के अहंकार को नष्ट करने के लिए सन्त राबिया ने कहा-पानी पर क्या चलना, चलो अनन्त आकाश में घूमते हुए हम चर्चा करेंगे । क्योंकि सन्त राबिया अनन्त आकाश में गरुड़ पक्षी को तरह उड़ सकते थे। अतः उन्होंने अपने साथी सन्त से
चमत्कारों का प्रदर्शन न करो
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