________________
: ६८ : सहृदयी निराला
दमोह के एक वयोवृद्ध साहित्यकार मुन्नालाल 'चित्र' प्रयाग पहँचे। उनके अन्तर्मानस में निराला से मिलने की इच्छा थी। वे अपने एक मित्र के साथ निराला के घर पहँचे । निराला जी को उसके मित्र ने परिचय देते हुए कहा-आप साहित्यकार हैं ।
निरालाजी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहाक्या आप कविता भी लिखते हैं ? क्या आपकी कोई पुस्तक भी प्रकाशित हुई है ?
उस वयोवृद्ध साहित्यकार ने निराशा के स्वर में कहा-हम छोटे व्यक्तियों की पुस्तके कौन प्रकाशित करता है ? यदि हम स्वयं अपनी पुस्तक प्रकाशित करना चाहें तो एक पुस्तक के प्रकाशन में डेढ़ सौ रुपये चाहिये । हमारी इतनी शक्ति कहाँ है जो हम उसे प्रका
सहृदयी निराला
११७
Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org