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________________ महमूद ने उसे अपने पास बिठा लिया। रात्रि के अन्धकार में वेष परिवर्तन कर किसान को लेकर वह उसके घर पहुँचा। किसान के घर में दीपक का मन्दमन्द प्रकाश टिमटिमा रहा था। उसने देखा कि सेना का अधिकारी किसान की पत्नी के साथ सोया हुआ है। उसने किसान को दीपक बुझाने का संकेत किया। महमूद ने अंधेरे में ही उस व्यक्ति की गरदन तलवार से उड़ा दी। और पुनः किसान को प्रकाश करने के लिये कहा। किसान यह देखकर हैरान हो गया। महमूद ने कहा-मेरी कठोरता विश्वविश्रुत है। सामान्य व्यक्ति कोई भी इतना साहस नहीं कर सकता । अतः मैं सोच रहा था कि यह व्यक्ति मेरे पुत्रों में से या परिवार में से कोई होगा। प्रकाश में मारते हए मेरा हाथ कहीं काँप न जाय, और मैं न्याय से विचलित न हो जाऊँ, इसलिए मैंने अन्धकार करवाया। पर मैं ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ कि यह व्यक्ति मेरे पुत्र या मेरे परिवार का नहीं है। यदि होता तो इस प्रकार के दुष्कृत्य से मेरा सिर लज्जा से झक जाता कि मेरे कुल में ऐसा दुराचारी पैदा हुआ है जो अपनी प्रजा के साथ इस प्रकार का पापपूर्ण व्यवहार करता है। गजनवी की न्यायप्रियता १०५ Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003197
Book TitleBolti Tasvire
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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