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:५६ : जन-नेता
रूस परतन्त्रता की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था। सन् १६१६ में लेनिन के नेतृत्व में क्रान्ति का स्वर बुलन्द हो रहा था। विरोधियों ने लेनिन पर आक्रमण किया जिससे वे घायल होकर रुग्ण हो गये। वे पूर्ण स्वस्थ नहीं हो पाये थे कि उन्हें समाचार प्राप्त हुआ कि भारी वर्षा के कारण रेल्वे पुल टूट गया है। उस पुल की शीघ्र ही मरम्मत होनी चाहिए। देशभक्त लोगों ने अनुभव किया कि वैज्ञानिक और मजदूरों के भरोसे ही रहा जायेगा तो कई दिनों तक पुल तैयार नहीं हो सकेगा। देशभक्त लोगों का झुण्ड पुल की मरम्मत करने के लिए पहुँच गया और सभी के हार्दिक सहयोग से पुल शीघ्र ही तैयार हो गया । बहुत ही शीघ्र पुल तैयार होने से सभी के मन में अपार प्रसन्नता हुई । उसके उपलक्ष्य में एक उत्सव का
जन-नेता
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