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पिता की सीख
एक दिन सेठ रामलाल ने सुना, उसका पुत्र सोहन व्यसनों से मुक्त हो चुका है । उसके जीवन में सादगी, संयम, सरलता और स्नेह है । दुर्गुणों के स्थान पर सद्गुण उसके जीवन में अंगडाइयां ले रहे हैं। प्रेम से दी गई पिता की सीख ने उसके जीवन और विचारों को बदल दिया है ।
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