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पिता को सीख
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अपने पुत्र के सम्बन्ध में ये समाचार सुनकर सेठ को अपार दुःख हुआ। मेरा पुत्र और दुर्व्यसनी ? सेठ को लगा उसकी सुनहरी कल्पनाओं का महल ढह गया है। जिस पुत्र के लिए उसने मन में अनेक सपने संजोये थे, आज वे सभी बेकार हो रहे हैं। कुलशृगार के स्थान पर वह कुलाङ्गार हो गया है । उसे समझाना होगा, द्वष से नहीं प्रेम से, स्नेह और सद्भावना से । ____ मध्याह्न में उसका पुत्र सोहन दूध का ग्लास लेकर आया। सेठ ने दूध पी लिया और पुत्र को अपने पास बिठाकर बड़े प्रेम से कहा "पुत्र ! तेरे सम्बन्ध में मैंने कुछ सुना है, जब से सुना है, तब से मेरा मन व्यथित है। मैं तुम्हारे से स्वप्न में भी यह आशा नहीं रखता था।"
सोहन ने अपनी बात छिपाने के लिए कहा--"पिता जी! लोग झूठ-मूठ ही आपको बहका देते हैं, ऐसी कोई भी बात नहीं है। मैं सदा सजग हूँ, आप चिन्ता न करें।"
सेठ रामलाल ने पुत्र का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा-"पुत्र ! मैं तुम्हें उपालम्भ देना नहीं चाहता,
और न तुम्हारी इच्छाओं पर रोक लगाना ही चाहता। मैं यही चाहता हूँ कि तुम मेरी अन्तिम तीन शिक्षा स्वीकार कर लो। मुझे मालूम है तू जुआ खेलता है, खेल, पर यह मुझे वचन दे कि कभी भी मकान के बाहर जुआ नहीं खेलूगा। मुझे मालूम है कि तू शराब पीता है, पी, पर यह मुझे वचन दे कि कभी भी मदिरालय को छोड़
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