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परीक्षा
अनिलकान्त उज्जैनी का एक बुद्धिमान और सुप्रतिष्ठित सेठ था । घर में धन के अम्बार लगे हुए थे। पत्नी प्रतिभा भी उसी के समान बुद्धिमती थी। किन्तु प्रतिभा की गोद सूनी होने से वह सदा उदास रहती थी। ___अनिलकान्त उसे समझाता कि तुम रात दिन चिन्ता न किया करो, यदि भाग्य में लिखा है तो पुत्र अवश्य
होगा।
प्रतिभा-नाथ ! बिना पुत्र के यह विराट् वैभव किस काम का? __ अनिलकान्त-तू आंसू न बहा ! आज ही मुझे एक पहुंचे हुए सन्त ने बताया है कि तुम्हारे एक पुत्र होगा।
उसी रात प्रातःकाल प्रतिभा को स्वप्न आया कि एक गंभीर गर्जना करते हुआ सिंह ने उसके मुख में प्रवेश किया।
प्रतिभा समझ गई कि अब मेरे एक तेजस्वी पुत्र रत्न होगा । अनिलकान्त की बात सत्य सिद्ध हुई। प्रतिभा की
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