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बादशाह की रामायण
प्रातःकाल का समय था। एक बादशाह अपने वजीर के साथ घूमने के लिए जा रहा था। मार्ग में एक व्यास जी कथा कर रहे थे। हजारों लोग बैठे हुए कथा का आनन्द ले रहे थे। व्यास जी के कथा कहने का ढंग इतना निराला था कि बात-बात में हंसी के फव्वारे छूट रहे थे, लोग प्रसन्नता से झूम रहे थे।
बादशाह ने पूछा-वजीर जी ! यहां पर कथा किसकी हो रही है ?
वजीर-जहाँपनाह ! अयोध्या के राजा राम और सीता की कथा कही जा रही है।
___ बादशाह को बहुत ही बुरा लगा कि मेरे राज्य में मेरी कथा न करके लोग दूसरों की कथा करते हैं ।
बादशाह ने, उसी समय व्यास जी को बुलाया और कहा देखना अब से राजाराम की कथा न सुनाकर मेरी कथा सुनाया करो। जैसी सीता राम की कथा है वैसी हबह मेरी भी कथा लिख दो।
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