________________
१७ ।
कलाकार की आलोचना
एक कलाकार मूर्तिकला में निपुण था। उसके यथार्थवादी चित्रण को निहार कर दर्शक आश्चर्य चकित हो जाता था। वह अपने युग का सर्वश्रेष्ठ कलाकार था। वह जवानी को पार कर बुढ़ापे में प्रविष्ट हो रहा था। उसकी बढ़ती हुई वृद्धावस्था को देखकर उसके स्नेहीजनों को चिन्ता सताने लगी । उन्होंने अपने हृदय की व्यथा कलाकार के सामने प्रस्तुत की।
कलाकार ने कहा-आप क्यों चिन्ता कर रहे हैं !
उन स्नेहीजनों ने कहा-यमराज जब आता है तो वह न कलाकार को देखता है और न साहित्यकार को ही। नेता और अभिनेता का भी वह भेद नहीं करता है। उसकी स्मृति मात्र से ही सिहरन होने लगती है।
कलाकार खिलखिला कर हंस पड़ा, उसने कहा-मैं अपनी कला कौशल से यमराज को भी चकमा दे सकता हूँ। वह मुझे सुगमता से नहीं ले जा पायेगा।
लोगों ने प्रश्न किया-वह किस प्रकार हो सकता है।
Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org