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अनमोल जीवन : कौड़ी का मोल
एक राजा प्रातःकाल जंगल में घूमने के लिये गया । वह रास्ता भूल गया। उसे भूख प्यास सताने लगी। वह एक अरण्यवासी की झौंपड़ी पर जा पहुँचा, भील ने उसका हृदय से स्वागत किया, राजा प्रसन्न हो गया।
विदा होते समय राजा ने कहा-मैं तुम्हारी सज्जनता मानवतापूर्ण सद्व्यवहार से प्रभावित हूँ। मैं अपना चन्दनबाग तुम्हें अर्पित करता हूँ जिससे तुम्हारा जीवन आनन्दमय व्यतीत होगा।
वनवासी चन्दनवन को प्राप्त कर प्रसन्न हो गया, किन्तु चन्दन का क्या महत्त्व है, उससे किस प्रकार लाभ उठाया जा सकता है, उसका उसे ज्ञान नहीं था। वनवासी ने सोचा इसके कोयले बनाकर शहर में बेचे जायें जिससे अच्छा लाभ होगा। वह चन्दन की लकड़ी के कोयले बनाकर बेचने लगा, और किसी भी प्रकार से अपना गुजारा करने लगा।
एक-एक करके सारे वृक्ष समाप्त हो गये । एक पेड़ बच गया। वर्षा का समय था, उससे कोयला न बन Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org