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समस्या का समाधान
निःसंकोच यहाँ रह सकते हैं। सन्यासी के साथ युवक की बात होती रही अन्त में सन्यासी ने कहा-तुम ज्ञानी पुरुष के पास जा रहे हो तो मेरी भी एक समस्या है उसका समाधान करके लाना। वह समस्या यह है कि मुझे बारह वर्ष से अधिक समय हो गया है साधना करते, किन्तु अभी तक मेरा मन एकाग्र नहीं हो पाया है । मेरा मन अत्यधिक बेचैन रहता है।
यवक ने सन्यासी को आश्वासन देकर आगे प्रस्थान किया। एक योजन चलने पर वह थक गया, उसने उस दिन एक माली के बगीचे में विश्राम लिया। माली ने भी उसके सामने अपनी समस्या रखते हुए कहा-~-मेरे पिता जब मरणासन्न स्थिति में थे तब उन्होंने मुझे आदेश दिया था कि मकान के उत्तर के कोने में चम्पा का वृक्ष लगाना, यह कह कर उन्होंने आँखें मद ली, मैंने उनके बताए हुये स्थान पर चम्पा का वृक्ष लगाने का अत्यधिक श्रम किया पर वहाँ वृक्ष न लग सका। मेरे हृदय में यह असह्य पीड़ा सता रही है कि मैं पिता की यह छोटी सी इच्छा भी पूर्ण न कर सका। उस ज्ञानी पूरुष से पूछकर मेरी पहेली को सुलझाने का प्रयास करें।
युवक माली को आश्वासन देकर प्रातःकाल वहाँ से आगे बढ़ा। एक योजन जाने पर उसे उस ज्ञानी की झौंपड़ी मिल गई। उसके मुंह पर अद्भुत आभा चमक रही थी। युवक प्रथम दर्शन में ही उससे इतना प्रभावित हुआ कि उसका श्रद्धा से उसके चरणों में सिर झुक
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