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समस्या का समाधान
एक युवक था, जिसका जीवन सत्य निष्ठ व परोपकारी था । किन्तु उसके पास सम्पत्ति का अभाव था। वह घर में अकेला था, उसे अकेलेपन का अभाव सदा खटकता था । एक दिन उसने कुलदेवी की उपासना कर गरीबी और अकेलेपन को मिटाने के लिए प्रार्थना की। कुलदेवी युवक की सत्यनिष्ठा परोपकार कर्तव्य परायणता पर मुग्ध हो गई। उसने कहा - पुत्र, तेरी समस्याओं का समाधान एक ज्ञानी पुरुष करेगा जो यहां से चार योजन दूर उत्तर दिशा में रहता है तू उसके पास चला जा |
आशा से लगा हुआ युवक वहां से उसी दिशा में चल दिया । वह इतना गरीब था कि वाहन के लिए उसके पास पैसे नहीं थे, और चलने का भी अभ्यास नहीं था । तथापि साहस से वह चल दिया एक योजन भी वह कठिनता से चल सका । इतना थक गया था कि एक कदम भी अब वह नहीं चल सकता था, छोटे से गाँव में एक बुढ़िया की झोपड़ी पर विश्राम लेने के लिए पहुंचा । वृद्धा ने प्रेम से उसका सत्कार किया ।
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