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अमिट रेखाएँ
घर छोड़ने के लिए तैयार न होंगे । यदि आस-पास के लोग सुनेंगे तो इज्जत मिट्टी में मिल जायेगी ।
पत्नी ने कहा- आप ऐसा करें कि कल सुबह ही पिताजी से कहें कि अमुक व्यक्ति रुपये नहीं दे रहा है, उसने कहा है कि आप जानेंगे तो वह रुपये दे देगा अतः आप गाड़ी में बैठकर चलें । इससे पिताजी चलने को तैयार हो जायेंगे और उन्हें श्मशान में गड्ढा खोदकर गाड देना । और यहाँ आकर हल्ला मचा देना कि रास्ते में डाकू मिले थे वे धन को लूट कर दादा को पकड़ कर न जानें कहाँ ले गये । इससे आपकी प्रतिज्ञा भी बनी रहेगी ।
वसिट्ठक ने कहा - वाह, तुम्हारी बुद्धि बड़ी तीक्ष्ण है, तुमने जैसा कहा है वैसा ही करूँगा ।
माता और पिता की इस बात को उसके सात वर्ष के पुत्र ने सुनी । प्रातः जब वह वृद्ध को लेकर जंगल में जाने लगा, तब बालक ने भी हठ की कि मैं भी चलूंगा । बालक क्या समझता है यह समझकर उसे साथ ले लिया ।
गाड़ी जब श्मशान में पहुची तो वसिट्ठक पिता-पुत्र को वहीं छोड़कर स्वयं कुदाल - टोकरी लेकर उतर पड़ा और कुछ दूर पर जाकर गड्ढा खोदने लगा। कुछ समय के पश्चात् बालक घूमता- घामता वहीं पहुँच गया जहाँ पर पिता गड्ढा खोद रहा था । पिताजी ! यहाँ पर आलू शक्करकन्द तो नही है फिर आप गड्ढा क्यों खोद रहे हैं ।
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