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सन्देह की मुक्ति
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को छिपाना ठीक नहीं है, उसने पिछली सारी घटना सुनादी और चारों वे रत्न भी श्वसुर के सामने रख दिये । दो वृक्षों के बीच गड़े स्वर्ण को निकालकर बताया । श्वसुर उसकी प्रतिभा से प्रभावित हुआ, वह सारा सोना लेकर घर आया। पुत्र को सारी बात बतादी। उसका सन्देह दूर हो गया, सन्देह की मुक्ति ही स्नेह का कारण है।
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