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| राजकुमार का चातुर्य देवनगर के राजा विक्रम की स्वर्णलता इकलौती पुत्री थी, अत्यन्त विलक्षण प्रतिभा की धनी थी, साथ ही रूप में अप्सरा के समान थी। राजा उसका पाणिग्रहण ऐसे मेधावी राजकुमार के साथ करना चाहता था, जो उनके परीक्षण प्रस्तर पर खरा उतरे । राजा ने अपने बुद्धिमान मंत्री से मंत्रणाकर बीहड़ जंगल में दुर्गम घाटियों के बीच पर्वत की अपत्यकाओं व उपत्यकाओं से घिरी हुई समभूमि थी, जहां पर पहुँचना किसी के लिए संभव नहीं था, वहां पर महल बनाया। महल बनाने वालों के लिए कलाकार व मजदूरों को आंखों पर पट्टी बांध कर वहां पर ले जाया गया और पुनः उसी प्रकार लाया गया। राजकुमारी स्वर्णलता को उसी महल में रखा गया।
राजा विक्रम ने यह उद्घोषणा करवाई कि तीन दिन की अवधि में जो राजकुमार राजकुमारी स्वर्णलता को खोज लेगा उस राजकुमार के साथ राजकुमारी का प्राणिग्रहण किया जायेगा । जो राजकुमार यह कार्य न कर सकेगा वह बन्दी बना दिया जाएगा।
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