________________
२२
अमिट रेखाएं
में डुबाने और निकालने लगे । नाई की स्थिति गंभीर से गंभीरतर होती गई । मरणासन्न होने लगा तभी नाई के मस्तिष्क में एक बात आई और उसने सिपाहियों से निवेदन किया - अब मैं संसार से विदा हो रहा है। प्रत्येक प्राणी की अन्तिम इच्छा पूर्ण की जाती है, मेरी भी एक इच्छा है उसे पूर्ण करें ।
सिपाहियों ने नाई का सन्देश राजा के पास पहुँचाया, अमनसिंह कुछ क्षण तक चिन्तन करते रहे, फिर उन्होंने आदेश दिया कि नाई को दरबार में उपस्थित किया जाय । नाई दरबार में लाया गया । उसने राजा के चरण छूकर हांफते हुए कहा- राजन् ! यह मेरा अन्तिम समय है, मैंने सुना था कि राजा साहब की खीझ और रीझ दोनों ही विचित्र हैं । खीझ का नमूना तो मैंने अपनी आँखों से देखा पर अन्तिम इच्छा आपकी रीझ को देखने की रह गई ।
नाई की बात सुनकर राजा का चेहरा खिल उठा । उन्होंने वह हाथी सजाया, उस पर वही झूल डलवाई और नाई को उस पर बिठाकर उसके घर पर भिजवा दिया और उस सजे-सजाये हाथी को भी नाई को दान में दे दिया ।
Jain Education Internationa For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org