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खीझ और रीझ
महाराजा अमनसिंह बहुत मनमोजी, अल्हड, और सरल हृदय का राजा था । उसे सवारी का बहुत ही शोक था । उसने सवारी के लिए विशेष हाथी रखा था । उस पर जो विशाल भूल डाली जाती थी, उस पर सोने-चांदी का जड़ाऊ का काम किया गया था और हजारों बहुमूल्य हीरे और मोती जड़े हुए थे | वह देखने में बहुत ही सुन्दर लगती । एक बार सवारी निकल रही थी ! एक नाई हाथी के पीछे चल रहा था । चमचमाते हुए हीरे को देखकर उसके मुंह में पानी आ गया । उसने इधर-उधर देखकर लोगों की आँख बचाकर भूल में से एक हीरा निकाल लिया । राजा अमनसिंह ने उसे हीरा निकालते हुए देख लिया, उन्हें बहुत ही क्रोध आया । सजा सुनाते हुए सिपाहियों को आदेश दिया 'इस नाई को लेकर तालाब पर जाओ, पानी में डुबाओ और निकालो, जब तक कि इसके प्राण न निकल जाय ।
उसी समय राजा की आज्ञा का पालन किया गया । सिपाही नाई को लेकर तालाब पर गये । पुनः पुनः पानी
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