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आचार्य स्थूलभद्र
स्तम्भ के नीचे धन गड़ा हुआ होना चाहिए । शुभ मूहूर्त में धनदेव ने भूमि का उत्खनन किया : प्रभूत धन का भण्डार प्राप्त हुआ। आचार्य स्थूलभद्र की असीम कृपा से धनदेव धन्य हो गया। वह अपने पूरे परिवार के साथ आचार्य देव के दर्शन के लिए पाटलिपुत्र आया, और आचार्य से निवेदन किया-भगवन् ! आपकी अपार कृपा से मैंने दरिद्रता के समुद्र को पार किया है। कृपया बताइए कि आपके इस ऋण से मुक्त होने के लिए मुझे क्या करना चाहिए।
आचार्य स्थूलभद्र ने कहा-आपको अर्हत् धर्म स्वीकार करना चाहिए।
धनदेव ! भगवन्-आपका जो भी आदेश होगा, वह मुझे स्वीकार है। ___आचार्य ने उसी समय उसे सम्यक्त्व दीक्षा प्रदान की । वह जैन धर्म की आराधना व साधना करने लगा।
आर्य स्थूलभद्र तीस वर्ष तक गृहस्थाश्रम में रहे। चौबीस वर्ष साधु पर्याय में और पैंतालीस वर्ष तक युगप्रधान आचार्य पद पर रहे। वीर निर्वाण सं० दो सौ पन्द्रह (२१५) में उनका स्वर्गवास हुआ। वे अन्तिम श्रु त केवली
थे।
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