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:४२ सुनें अधिक और बोलें कम
तथागत बुद्ध अपने शिष्यों के साथ एक बार जेतवन के अनाथपिंडक संघाराम में विचरण कर रहे थे। उस समय बुद्ध का शिष्य श्रमण यशोज पाँचसौ भिक्षओं के साथ तथागत के दर्शनार्थ उपस्थित हआ। वे पाँचसौ भिक्षु अपने चीवर और पात्र रखने के लिए उच्च शब्द कर रहे थे। सारा विहार उनके हो-हल्ले से मुखरित हो रहा था। तथागत बुद्ध जो मौन-प्रेमी थे उन्हें यह शोर-शराबा बिल्कुल ही पसन्द नहीं आया। उन्होंने भिक्षुओं को अपने सन्निकट बुलाकर और उन्हें फटकारते हुए कहा-इसी समय निकल जाओ यहाँ से, क्योंकि तुम लोग मेरे पास रहने योग्य नहीं हो।
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