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________________ : ३६ : प्रामाणिकता अबू - खलीफा कपड़े के व्यापारी थे । उन्होंने एक थान देखा जो बीच में से खराब था । उन्होंने अपने अनुचर से कहा - यह थान बीच में से कुछ खराब है, जब भी कोई ग्राहक आये उसे स्पष्ट रूप से बता देना कि यह खराब है और इसका मूल्य आधा लेना । कार्याधिक्य के कारण अनुचर इस बात को भूल गया और उसने वह थान पूरी कीमत में ही ग्राहक को बेच दिया । जब संध्या के समय उन्होंने अनुचर को पूछा तो उसने अपनी भूल स्वीकार की । खलीफा ने कहा - यह तूने बहुत ही अनुचित किया है । वे स्वयं ग्राहक की अन्वेषणा करने लगे । उन्हें पता लगा कि ग्राहक हजाज के काफिले में मिलकर मध्याह्न में ही यहाँ से चल दिया है । वे उसी समय : ७४ : Jain Education Internationalte & Personal Usev@rjainelibrary.org
SR No.003194
Book TitleGagar me Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1979
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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