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________________ सच्चा मानव : ३४ : सम्राट ने जन-जन के अन्तर्मानस पर विजय प्राप्त करने हेतु उपाधि प्रदान करने की योजना बनाई और उसने हजारों व्यक्तियों को उपाधियाँ प्रदान कर अपने आपको एक लोकप्रिय शासक अनुभव किया । सम्राट सिंहासन पर बैठे थे । उस समय एक महत्त्वाकांक्षी युवक ने राजसभा में प्रवेश किया । सम्राट को नमस्कार कर युवक ने कहा- राजन् ! मैंने सुना है आप उपाधियाँ प्रदान करते हैं । कृपया मुझे भी उपाधि प्रदान कीजिये । सम्राट ने युवक की ओर देखा । उसके चेहरे पर अपूर्व तेज चमक रहा था । तन के कण-कण में सौन्दर्य अंगड़ाइयाँ ले रहा था । सम्राट उसके दिव्य भव्य रूप को निहार कर अत्यन्त प्रभावित हुआ और उसने उपाधियाँ प्रदान करने के लिए सहज स्वीकृति प्रदान Jain Education Inteffipatronaersonal Usev@rjainelibrary.org
SR No.003194
Book TitleGagar me Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1979
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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