________________
:२८ः
कहाँ से सीखा?
लुकमान हकीम से किसी ने पूछा कि आपमें इतना विनय, अनुशासन व प्रामाणिकता है, वह आपने कहाँ से सीखी?
लुकमान हकीम ने कहा-उन व्यक्तियों से जिनका जीवन अभिमानी था, अप्रामाणिक व अनुशासनहीन था।
प्रश्नकर्ता असमंजस में पड़ गया। उसने पुनः प्रश्न किया कि यह कैसे हो सकता है ? क्या कभी उन व्यक्तियों से कोई कुछ सीख सकता है ?
लुकमान ने कहा-मित्र ! इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है । मैंने उन व्यक्तियों में जो बुरी बातें देखीं जिनसे उनका जीवन कलुषित था, उन बातों
: ५२ :
Jain Education InteFoatonate & Personal Usev@rainelibrary.org