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अदभुल कलाकार
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- एक राजा सिंहासन पर आरूढ़ था'। सभा'लंगी हुई थी। दो कलाकारों ने सभा में प्रवेश किया । राजा ने दोनों का योग्य सम्मान किया और उनसे पूछा। आपका आगमन किस उद्देश्य से हुआ?
आगन्तुकों में से प्रथम ने कहा- मैं चित्रकार है। मैं भीत पर ऐसे चित्र बनाता है कि दर्शक देखकर आनन्द विभोर हो जाता है। - दूसरे ने कहा- मैं विचित्रकार हूँ. मैं बिना तूलिका के ही दीवाल पर ऐसे चित्र अंकित कर देता हूँ कि दर्शक का मन-मयूर नाच उठता है।।
राजा ने दोनों कलाकारों को आदेश दिया मेरे नव्यु-भव्य महल को दीवालों पर तुम अपनी कला का प्रदर्शन करो। दोनों ने राजा के प्रस्ताव को सहर्ष
क को दी गई और
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स्वीकार लिया एक दीवाल Jain Education Interfoa tomate & Personal Ubev@ņainelibrary.org