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पाप की स्मृति
एक वृद्धा माँ का पुत्र बुरी संगति के कारण डाकू बन गया । जब वह कहीं पर डाका डालकर लौटता तो बूढ़ी माँ एक कमरे में एक लोहे की कील गाड़ देती थी । जब कभी भी वह कोई भी बुरा कार्य करके लौटता तब भी वह उसी प्रकार कील गाड़ देती थी । वह पूरा कमरा कीलों से भर गया था ।
एक दिन उसका लड़का उस कमरे में पहुँचा । सम्पूर्ण कमरे को कीलों से गड़ा हुआ देखकर आश्चर्य चकित हो गया । उसने पूछा- माँ ! यह सारा कमरा कीलों से क्यों भरा है ? इतनी सारी कीलें इसमें क्यों गाड़ी हैं ?
वत्स ! ये सारे तेरे बुरे कार्य हैं । जब भी तू कोई बुरा कार्य करता, मैं उसी समय एक कील गाड़ देती रही । देख ले तेने अपनी छोटे से जीवन में कितने बुरे काम किये हैं, सारा कमरा कोलों से भर गया है ।
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