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तुम नाराजगी के अयोग्य ही
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एक छात्र से भूल हो गई, वह भय से कांपता हुआ पण्डित मदनमोहन मालवीय के पास पहुंचा और गिड़गिड़ाने लगा कि आप मेरे से नाराज तो नहीं हो गये हैं ?
मालवीयजी ने मुस्कराते हुए कहा-मैं तुम्हारे से क्यों नाराज होऊँगा ? मैं बड़ा हूँ और तुम छोटे हो। यदि मुझे नाराज ही होना है तो ब्रिटिश सरकार से नाराज होऊंगा, या किसी बहुत बड़े शत्रु से नाराज होऊँगा, तुम पर मैं नाराज होऊँ इसके योग्य तुम नहीं हो। जाओ, और मन लगाकर अपना कार्य करो एवं सफलता प्राप्त करो।
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