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साधक और सेवक
थोड़ा-सा रस भारवाही गधों को पिलाया गया तो वे उन्मत्त होकर रेंकने लगे, इधर-उधर भागने लगे। - ब्रह्मदत्त ने अमात्य से इस वैषम्य का कारण पूछा।
अमात्य ने कहा-जो अनुशासित है उनके लिए द्राक्षारस रसायन है किन्तु जो स्वभाव से ही उद्धत हैं, दुःशील हैं वे यत्किञ्चित् भी उत्तेजना पाते ही उन्मत्त हो जाते हैं। ___ अपनी बात का उपसंहार करते हुए बुद्ध ने कहाजो साधक हैं वे तो अनुशासित सैन्धव घोड़े के समान हैं, और जो सेवक हैं वे उन गधों के समान हैं। यही साधक और सेवक में अन्तर है।
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