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नेहरूजी की उदारता
एक बार हिन्दी का एक युवक कवि विदेश जाने के पूर्व पं० जवाहरलाल नेहरू से मिलने के लिए उनकी कोठी पर पहुंचा। विविध विषयों पर वार्तालाप होता रहा। जाते समय नेहरूजी ने उसके हाथ में एक बन्द लिफाफा थमा दिया और कहा-आप इस लिफाफे को जहाज में बैठने के पश्चात् खोलें। कवि महोदय लिफाफा लेकर घर पहुँच गये। निश्चित दिनांक पर वे विदेश यात्रा के लिए प्रस्तुत हए। जहाज में बैठने के पश्चात् उसने नेहरू के आदेश के अनुसार जब लिफाफा खोला तो उसमें एक हजार रुपये के यात्री चेक थे। उसे देखकर प्रसन्नता से उसका चेहरा चमक उठा। उसके मन में यह विचार तरंगित हो रहा था
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