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आत्मवत् सर्वभूतेषु
सरकार के माननीय प्रतिभासम्पन्न वकील हुगली निवासी शशिभूषण वन्द्योपाध्याय वैशाख की चिलचिलाती धूप में मध्याह्न के समय एक किराये की गाडी में बैठकर एक लब्ध प्रतिष्ठित व्यक्ति के घर पहुँचे । गरम लू चल रही थी । शशिभूषणजी को अपने यहाँ आए हुए देखकर उस मित्र ने कहा - इस भयंकर गरमी में आपने आने का कष्ट क्यों किया ? आप अपने किसी अनुचर के द्वारा पत्र भिजवा देते । मेरा विचार
शशिभूषणजी ने कहा- पहले नौकर के द्वारा ही पत्र भेजने का था । इसीलिए मैंने पत्र लिखा भी था । किन्तु चिलचिलाती धूप और प्रचण्ड गर्मी को देखकर मैंने नौकर के द्वारा पत्र भेजना उचित न समझा । क्योंकि वह पैदल आता । उसमें
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