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________________ ल उसने पुन: "बे" कहा। न्यायाधीश-क्या पागल हो गया है ? उस आदमी ने 'बे' शब्द को पुनः दुहराया। न्यायाधीश ने पागल समझकर उसे मुक्त कर दिया। वकील' अपने वाग्जाल पर खुश था और हत्यारे के प्राण बच जाने से वह भी खुश था। वकील रात्रि के समय उस आदमी के घर पर पहँचा और उससे साढ़े चार हजार रुपये मांगे। उस व्यक्ति ने उत्तर में "बे" कहा। वकील ने उसे फटकारते हुए कहा--अरे मूर्ख, यह न्यायालय नहीं है, घर है । यहाँ तो अच्छी तरह से बात कर। वह जानता था कि 'बे' कहने से फाँसी की सजा मिट गयी तो क्या 'बे' कहने से फीस नहीं मिट सकती? इसलिए उसी गुरुमन्त्र को रटता रहा। अन्त में वकील निराश होकर चल दिया। मियाँ की जूती मियाँ के सिर पर गिर गई। जो दूसरों को छल करना सिखाता है वह स्वयं छला जाता है। Jain Education Interipatroinedte & Personal Usevwrainelibrary.org
SR No.003194
Book TitleGagar me Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1979
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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