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उदारता
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सेंककर खाने का निश्चय किया। भर्तृहरि तीनों पिण्डों को सेंक रहे थे। उधर पार्वती के साथ महादेव निकले। महादेव ने भर्तहरि को नमस्कार किया। भर्तृहरि को नमस्कार करते हुए देखकर पार्वती को आश्चर्य हुआ। उसने कहा-आप सबसे बड़े देव हैं। इसीलिए लोग आपको महादेव कहते हैं। फिर भी आप एक मानव को नमस्कार कर रहे हैं । इसमें क्या रहस्य है ?
. महादेव ने कहा-पार्वती ! मैं व्यक्ति की नहीं गुणों की पूजा करता हूँ। भर्तृहरि में जो उदारता है वह अन्य मानवों में दिखायी नहीं दे सकती।
पार्वती-ऐसी क्या विशेषता है ? यह तो स्वयं ही दरिद्र है । पाँच दिन से भूखा है और मृत-पिण्ड खाने की तैयारी कर रहा है। फिर भी आप कहते हैं कि इसमें उदारता है-यह तो समझ में नहीं आया।
तीनों पिण्ड पककर तैयार हो चुके थे। पार्वती की जिज्ञासा का समाधान करने के लिए महादेव ने एक भिक्षु का रूप बनाया। भर्तृहरि के पीछे खड़े रहकर उन्होंने आवाज दी "भिक्षां देहि ।"
भर्तहरि के कानों में ज्योंही भिक्षुक की आवाज आई, उन्होंने आँख उठाकर के भी नहीं देखा कि कौन
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