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१३. श्रमण संस्कति की सार्वजनीनता का प्रश्न
-साध्वी श्री चन्दनाजी, दर्शनाचार्य ....१३१ १४. श्रमण संस्कृति की सार्वभौमिकता
--श्री रिषभदास रांका ...१३३ १५. धर्म का स्वरूप और सर्वधर्म-समन्वय
-डा० भगवत्स्व रूप मिश्र ....१४० १६. वैदिक संस्कृति और श्रमण संस्कृति को तुलनात्मक समीक्षा
-डा० पारसनाथ द्विवेदी ....१५१ १७. वैदिक एवं श्रमण संस्कृतियों के समन्वय का
दार्शनिक धरातल -डा. महेन्द्रसागर प्रचंडिया ....१६१ १८. गीता और श्रमण संस्कृति : एक तुलनात्मक अध्ययन
-साध्वी मंजुश्रीजी ....१६३ १६. श्रमण संस्कृति के विकास में बिहार की देन
-प्रो० रामाश्रय प्रसाद सिंह ....१८३ २०. भारतीय भाषा एवं साहित्य में श्रमण संस्कृति के स्वर
---- कलाकुमार ....१६ ।
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