________________
सन्मति साहित्य रत्नमाला का १०० वां रत्न
धर्म और दर्शन
लेखक
परम श्रद्धेय पंडित प्रवर श्री पुष्करमुनि जी महाराज
Jain Education International
के सुशिष्य देवेन्द्रमुनि, शास्त्री, साहित्यरत्न
श्री सन्मति ज्ञान पीठ, आगरा
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org