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________________ ३१२ ! अप्पा सो परमप्पा सशक्त स्वस्थ शरीर, इन्द्रियाँ, मन, बुद्धि या संस्कारी परिवार का सुयोग मिले या न मिले। पिछले अनेक जन्मों तक जन्ममरणादिरूप संसारचक्र में मैं भ्रमण करता रहा हूँ। उस चक्कर में मुझे अन्तिम लक्ष्य और मार्ग का भी बोध नहीं हो सका। मैं संसाररूपी विषम गर्त में पड़ा रहा । अब मुझे इस गड्ढे से बाहर निकलने के लिए तथा अन्तिम लक्ष्य तक द्रुतगति से पहुँचने के लिए योग्य आलम्बन लेना चाहिए ताकि मैं तीव्रगति से अन्तिम मंजिल तक पहुँच सकूँ । सुयोग्य एवं सशक्त आलम्बन के बिना भला ऐसा मुमुक्षु आत्मार्थी साधक कैसे शीघ्र पहुँच सकेगा ? आत्मस्वरूप का बोध प्राप्त करने हेतु देव, गुरु, धर्म का आलम्बन आवश्यक __ अथवा एक व्यक्ति अपने निजी आत्म-गुणों और आत्मा और परमात्मा के स्वरूप से तथा स्वभाव से अनभिज्ञ है, उसने सद्गुरुओं के मुख से सुना है कि देवाधिदेव सर्वज्ञ परमात्मा, निर्ग्रन्थ निःस्पृह धर्मगुरु एवं सद्धर्म के अवलम्बन से वह आत्मा, परमात्मा, आत्मगुणों, आत्मस्वरूप, परमात्मा के स्वरूप एवं स्वभाव आदि को भलीभाँति जान सकता है, आत्मा से परमात्मा बनने या मोक्ष प्राप्त करने के उपाय एवं मार्ग का भी बोध प्राप्त कर सकता है । अब यदि वह इनका आलम्बन न लेकर चुपचाप बैठ जाए और अपने मन की जिज्ञासा को अन्दर ही दबा ले तो क्या वह स्वयं उपर्युक्त महत्वपूर्ण लक्ष्य, मार्ग, एवं मार्ग पर चलने की विधि से अनभिज्ञ निरालम्ब एवं अल्पज्ञानादि सामर्थ्यवान व्यक्ति संसार-सागर को पार कर सकता है ? क्या अज्ञानान्धकार में डूबी साधनविहीन आत्मा अपने अभीष्ट कार्य को स्वयं सिद्ध कर सकती है ? इसीलिए दशवकालिक सूत्र में कहा है--- ___अन्नाणी कि काही किं वा, नाही य सेय-पावर्ग अर्थात्-अज्ञानी बेचारा क्या कर सकता है ? कैसे वह कल्याण और पाप को (तथा उनके कारणों को जान सकता है ? साधन के बिना साध्य सिद्ध नहीं हो सकता साधन आलम्बन हैं। उनके बिना व्यवहारष्टि से साध्य कैसे सिद्ध हो सकता है ? व्यवहारभाष्य में इसी तथ्य को उजागर किया गया है १ दशवकालिक अ. ४ गा. १० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003189
Book TitleAppa so Parmappa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1989
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size18 MB
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