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________________ १९६ | अप्पा सो परमप्पा सृष्टिकर्तृत्व के विषय में इस्लाम धर्म को मान्यता इस्लाम धर्म का कहना है कि खुदाताला ने 'कुन' कहा और यह दुनिया बनकर तैयार हो गई। खुदा अपने हुक्म से दुनिया को पैदा किया करता है । यहाँ प्रश्न होता है-खुदा तो निराकार है। उसके शरीर, मुंह, जुबान आदि कुछ भी तो नहीं है । फिर बिना जुबान के, बिना मुँह के खुदा ने 'कुन' कैसे कहा ? क्योंकि कोई भी शब्द बोलने के लिए मुंह और जीभ की जरूरत अवश्यम्भावी है । फिर यह भी सवाल होता है, दुनिया के रूप में तब्दील होने वाले परमाणु तो जड़ हैं, उनके कान भी नहीं होते, न ही उनमें चेतना होती है, फिर उन्होंने खुदाताला के हुक्म को कैसे सुना ? और आश्चर्य तो यह होता है कि जब खुदा बिना मह और जुबान के भी बोल सकता है और हुक्म कर सकता है तो अब क्यों नहीं बोलता? अब क्यों चुप बैठा है ? जबकि आज सारे संसार में जगह-जगह हत्या, दंगा, आतंक, अन्याय, अत्याचार, डकैती, राहजनी, व्यभिचार, शराब, मांसाहार, ठगी, भ्रष्टाचार, तस्करी, रिश्वतखोरी आदि से सारी जनता त्रस्त है, पापियों के पापों के कारण दुनिया में नानाविध भयंकर दुःख, आफतें और संकट छाये हए हैं। लोग उस खुदा, गॉड या ईश्वर को रक्षा के लिए पुकारते-पुकारते और प्रार्थना एवं मिन्नतें करते-करते थक गए, लेकिन वह सुनता क्यों नहीं ? अपनी दुनिया की सुरक्षा और सुव्यवस्था क्यों नहीं करता? अब बोलता क्यों नौं ? यदि वह बोल पड़े तो हजारों काफिर, पापी, अधर्मी, चोर, डकैत आदि बदल जाएँ। दुनिया में अमन चैन हो जाए। क्या यह सब धर्म, परोपकार और शान्ति का काम खुदा को अच्छा नहीं लगता ? परन्तु खुदा के भक्त ही खदा से डरते नहीं, वे ही सिया और सुन्नी दो भागों में बँटकर आपस में लड़ते और मरते-मारते हैं। वे ही अपने भाई-इन्सान की हत्या करने, निर्दोष जानवरों को कत्ल करने तथा दुनिया की सुख-शान्ति को चौपट करने में लगे हुए हैं। उनका खुदा विलकुल चुप है ! दूसरी ओर यह भी कहा जाता है कि खुदा की तारीफ करने से, उसकी डटकर इबादत कर देने और दुआ मांगने से वह उन पापियों के पाप को माफ कर देता है । ईश्वर को किसने बनाया ? ईश्वरकर्तृत्ववादियों का कहना है कि संसार में कोई भी वस्तु बिना बनाए बनती नहीं। सृष्टि भी एक पदार्थ है। उसको ईश्वर ने ही बनाया है। वही सर्वशक्तिमान है। उन्हें यह विश्वास ही नहीं होता कि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003189
Book TitleAppa so Parmappa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1989
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size18 MB
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