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________________ अप्पा सो परमप्पा क्या आत्मा परमात्मा बन सकता है ? किसी आत्मार्थी मानव से पूछा जाए कि तुम्हारे जीवन का अन्तिम लक्ष्य क्या है ? तब वह यही कहेगाआत्मा से परमात्मा बनना ही मेरे जीवन का अन्तिम लक्ष्य है । सामान्य मानव सहसा इस बात को सोच नहीं पाता। कई धर्म एवं दर्शन तो यहाँ तक कह देते हैं कि मनुष्य चाहे कितना भी पुरुषार्थ करले, वह कभी आत्मा से परमात्मा बन नहीं सकता। कहाँ सामान्य आत्मा और कहाँ परमात्मा ? कहाँ गांगा तेली और कहाँ राजा भोज ? एक नौकर चाहे कितना ही प्रयत्न कर ले, वह नौकर ही रहेगा, सेठ नहीं बन सकता । इसी प्रकार आत्मा चाहे जितनी साधना कर ले, वह परमात्मा (ईश्वर) नहीं बन सकता। ईश्वर (परमात्मा) ईश्वर ही रहेगा और आत्मा आत्मा ही। हाँ, वह ज्ञान-कर्म-भक्ति के बल पर परमात्मा के निकट पहुँच सकता है, परमात्मा का ज्ञानी भक्त बन सकता है, उच्च कोटि का महात्मा बन सकता है । परन्तु जैसे सेवक स्वामी नहीं बन सकता, वैसे ही सामान्य आत्मा परमात्मा (ईश्वर) नहीं बन सकता । ईश्वर (परमात्मा) तो एक ही होता है; वह अजन्मा, नित्य, शाश्वत और सदा से ही सदाकाल के लिए ईश्वर (परमात्मा) है और रहेगा। यह मान्यता उन धर्मों या दर्शनों की है, जो ईश्वर ( १ ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003189
Book TitleAppa so Parmappa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1989
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size18 MB
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