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________________ १७२ ऋषभदेव : एक परिशीलन ५५. सुसुमार ७८. वसु ५६. दुर्जय ७६. सेन ५७. अजयमान ८०. कपिल ५८. सुधर्मा ८१. शैलविचारी ५६. धर्मसेन ८२. अरिञ्जय ६०. आनन्दन ८३. कुञ्जरबल आनन्द ८४. जयदेव ६२. नन्द ८५. नागदत्त ६३. अपराजित ८६. काश्यप ६४. विश्वसेन ८७. बल ६५. हरिषेण ८८. वीर ६६. जय ८६. शुभमति ६७. विजय ६०. सुमति ६८. विजयन्त ६१. पद्मनाभ ६६. प्रभाकर ६२. सिंह ७०. अरिदमन ६३. सुजाति ७१. मान ६४. सञ्जय महाबाहु ६५. सुनाम ७३. दीर्घबाहु ६६. नरदेव ७४. मेघ ६७. चित्तहर ७५. सुघोष ६८. सुखर ७६. विश्व ६६. दृढरथ ७७. वराह १००. प्रभजन+ दिगम्बर परम्परा के आचार्य जिनसेन ने १०१ पुत्र माने हैं और उसका नाम वृषभसेन दिया है । पुत्रियों के नाम१-ब्राह्मी। २-सुन्दरी। ७२. + (क) कल्पसूत्र किरणावली पत्र १५१-५२ (ख) कल्पसूत्र सुबोधिका टीका व्याख्यान ७ पृ० ४६८ * महापुराण पर्व १६, पृ० ३४६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003187
Book TitleRishabhdev Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1967
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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