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नारी का दिव्य रूप
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लिया है । अब तुम्हें अपनी पुत्रवधू बनाकर राज्य की शोभा बढ़ाऊँगा।
वस्तुतः नारी महान् है । वह करुणा, दया, स्नेह, सद्भावना की मूर्ति है। वह एक परिवार को ही नहीं, दोनों ही परिवारों को चमकाने वाली है।
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