________________
गुणों की महत्ता
शंकर और श्याम दोनों सहोदर भाई थे । श्याम पढ़ा- लिखा था । उसने व्यापार में लाखों रुपये कमाये । वह अपने भव्य भवन में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता था । शंकर उसका लघु भ्राता था, वह अनपढ़ था । उसके पास थोड़ी-सी खेती थी । उसके अनाज से ही वह अपने बालबच्चों का भरण-पोषण करता था । एक बार उसका पुत्र राम बीमार हो गया । उसके पास जो थोड़ी-बहुत संपत्ति थी, वह उसके उपचार में खर्च हो गई । व्याधि घटने के स्थान पर बढ़ रही थी । पास में पैसा नहीं था । सारा परिवार तीन दिन से भूखा था । उसने अपने भाई को भी सूचना दी । पर उसने आकर सुध-बुध नहीं ली। शंकर की पत्नी ने कहा -- नाथ ! आप अपने प्रिय भ्राता के पास जाकर कुछ खाने के लिए माँग कर ले आइए। उनके वहाँ तो बीसों आदमी कार्य करते हैं । उन्हें कहिए कि आपको नौकरी पर ही रख लें जिससे हमारा जीवन व्यवस्थित रूप से चल सके ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org