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कर मला, होगा मला १३७ धो बैठेगी। किन्तु वह पत्थर कोयल को न लगकर कौए को लग गया जिससे कौआ ढेर होकर नीचे गिर पड़ा।
कौए की चीख से कोयल घबरा गई। उसने नीचे झोंककर देखा तो उसे स्पष्ट हो गया कि कौए ने हड्डी फैकी थी जिसके कारण उसे मौत का शिकार बनना पड़ा। यद्यपि कौआ मुझे मारना चाहता था, पर भलाई का बदला कभी बुरा नहीं हो सकता। यदि कौआ भलाई नहीं कर सकता था तो उसे बुराई भी नहीं करनी चाहिए थी। बुराई का परिणाम हमेशा बुरा ही होता है।
इसलिए कहावत है-“कर भला, होगा भला" ।
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