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साहस का पुरस्कार १३१ आज्ञा शिरोधार्य है। पर मेरी यह प्रार्थना है कि समुद्र में युद्ध करना उचित नहीं है। उनके पास तोपें हैं ? हमारे पास केवल बन्दूकें हैं जो समुद्र में काम नहीं देंगी। रहा प्रश्न समुद्र में जहाज से लड़ना। उस युद्ध में भी राजकुमारी को प्राणों का अधिक खतरा है।
___ राजा-तो सेनापति प्रवर ! बताइए क्या करना चाहिए?
सेनापति ने कहा-मेरी दृष्टि में तो गुप्तरूप से तैरकर वहाँ पहुँचना चाहिए और उसके लिए अधिक व्यक्तियों की आवश्यकता नहीं। केवल दो व्यक्ति ही पर्याप्त हैं।
रोजकुमार महेन्द्र ने कहा-मैं अपनी प्यारी बहन के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने के लिए तैयार है। दूसरे बलवन्त नामक युवक ने कहा-मैं राजकुमार महेन्द्र का साथ देने के लिए प्रस्तुत हूँ।
. राजकुमार महेन्द्र और बलवन्त ये दोनों बहुत ही अच्छे तैराक थे। दोनों निर्भय होकर समुद्र में कूद पड़े। पानी में तैरते हुए जहाज तक पहुँच गये । महेन्द्र अपनी योजना के अनुसार जहाज के आगे जाकर पानी से बाहर निकला। तोपचियों ने और डाकू अजितसिंह ने
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