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जब प्रेम उठाने वाला हो....
संस्कृत की एक सूक्ति है
तस्य तदेव हि मधुरं यस्य मनो यत्र संलग्नम् ।
जिसका मन, जहाँ लग गया, जिसका हृदय जिससे जुड़ गया, उसके लिए वही मधुर है, वही स्वर्ग का टुकड़ा है ।
मन में जब स्नेह होता है, तो मरुथल के रेगिस्तान में कमल खिल उठते हैं। मन में जब प्रेम होता है, तो संसार के समस्त कष्ट, आनन्द के स्रोत बन जाते हैं ।
वस्तुतः स्नेह एवं प्र ेम के समक्ष कुछ भी कठिन नहीं, कुछ भी दुःसह नहीं ।
'महादेव भाई की डायरी' में गांधीजी के पत्र का एक अंश उद्धृत किया गया है ।
एक बार गोविंदराघव ने एक छोटा-सा पत्र गांधीजी के पास भेजा । उसने लिखा- “विशप नाम का युवक
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