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सर्वश्रेष्ठ शासक
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फल वाले महान वृक्ष के पके हुए फल का जो तोड़ता है, उसको फल का रस भी मिलता है, और भविष्य में फलने वाला बीज भी नष्ट नहीं होता । इसी प्रकार जो राजा महान् वृक्ष के समान राष्ट्र का धर्म से प्रशासन करता है, वह राज्य का रस (आनन्द) भी लेता है और और उसका राज्य भी सुरक्षित रहता है ।
एक बार सम्राट अशोक के जन्म दिवस पर सभी प्रान्तों के प्रशासक बधाइयाँ देने को पहुचे । सम्राट् की ओर से भी राज्य के सर्वश्रेष्ठ शासक को पुरस्कृत करने की घोषणा की गई ।
अपने राज्य की स्थिति व शासन - कुशलता का परिचय-कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ । एक प्रान्तपति ने खड़े होकर कहा - " इस वर्ष मैंने अपने प्रान्त की आय में तीन गुनी वृद्धि की है ।'
एक दूसरे प्रांत के शासक उठे - " मैंने इस वर्ष राज्यकोष में गत वर्ष से दुगुना स्वर्ण दिया है ।"
फिर एक प्रदेश के अधिकारी मंच पर आए - मेरेराज्य में प्रजा से प्राप्त होने वाली आय बढ़ी है, सेवकों के वेतन गतवर्ष से कम कर दिए हैं। राज्य के व्यय में भी कटौती की गई है ।"
अन्त में मगध के प्रान्तीय शासक आये । नम्रता पूर्वक उन्होंने कहा - " महामहिम सम्राट् को मैं क्या निवेदन करू ? मेरे प्रान्त ने इस वर्ष बहुत कम स्वर्ण
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