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आचार का चमत्कार
शास्त्रों के हजार उपदेश से आचार का एक चरण अधिक श्रेष्ठ होता है। उपदेश और चर्चा से धर्म का वास्तविक सौन्दर्य ढक जाता है, किंतु चरित्र में वह सम्पूर्ण तेजस्विता के साथ प्रकट हो जाता है। इसीलिए यूरोप के प्रसिद्ध तत्व चिन्तक रोमोरोलॉ ने एक बार कहा था-एक्शन इज दि एण्ड आफ थॉट-समस्त ज्ञान चरित्र में समाहित हो जाते हैं।
तथागत बुद्ध ने कहा है
जो धर्म का आचरण नहीं करता, वह जीवन भर धर्म चर्चा करके भी उसके रस को नहीं जान पाता, जैसे चम्मच दाल का स्वाद नहीं जान पाती। किंतु जो धर्म का आचरण करता है, वह धर्म का स्वाद क्षण भर में ही पहचान लेता है, जैसे जीभ दाल का स्वाद पहवान लेती हैं।
१. धम्मपद ५।५-६
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