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तीन गुण
१४३ देखो, यह ऊपर से नीचे तक बिल्कुल सीधी सरल है, कहीं गांठ नहीं है । जिसका हृदय सरल हो, जिसके मन में गांठ न हो, क्या वह भगवान का प्यारा नहीं होगा ?--- गोपी वल्लभ श्रीकृष्ण ने बांसुरी को हवा में घुमाते हुए गोपियों की ओर एक तीखी चितवन से देखा। गोपबालाओं की दृष्टि नीची झुक गई वे इन तीनों गुणों की प्रतिछाया में अपने अन्तर को टटोलने लग गई।
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