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अनुश्रुत श्रुतियाँ जैसा मन होता है, वैसा ही बाह्य जगत् बन जाता है-"मनएव जगत्सर्वम्"-मन ही जगत् का निर्माण करता है। ___इसी को व्यवहार में 'यथा दृष्टिस्तथा सृष्टि:' कहा है। दृष्टि हमारा चिन्तन है, वस्तु को देखने की वृत्ति है। यदि दृष्टि राग पूर्ण है, तो सृष्टि भी राग पूर्ण हो जाती है, दृष्टि में दोष है तो सृष्टि में भी सर्वत्र द्वष ही द्वष बरसता है। ___महाराष्ट्र में एक कथा प्रसिद्ध है। समर्थ रामदास रामायण लिख रहे थे, साथ ही साथ शिष्यों को सुनाते भी जाते थे। हनुमान भी गुप्त रूप से उसे सुनने के लिए आते।
एक प्रसंग वर्णन में रामदास ने कहा-"हनुमान अशोक वन में गये और वहां सफेद फूल देखे ।' ___-"मैंने सफेद फूल नहीं, लाल फूल देखे, तुम गलत लिख रहे हो-" हनुमान ने प्रगट होकर कहा ।
समर्थ ने कहा-'-फूल सफेद ही थे। मैंने ठीक लिखा है।"
हनुमान जरा तेजी से बोले-“वहां मैं गया था, या
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