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पुण्यपुरुष
"राजन् ! राधावेध के विषय में जान लेने के बाद बेटी जया ने प्रतिज्ञा कर ली है कि वह उसी वीरपुरुष के साथ विवाह करेगी जो राधावेध कर सकेगा। अन्यथा...."
"ओह, अब मैं समझा। आचार्यवर ! अब मैं समझा। बेटी जया ने सचमुच बड़ी कठिन प्रतिज्ञा कर ली है।' ___“यही मेरी चिन्ता का विषय है, महाराज ! राजकुमारी मेरी शिष्या है। वह अपनी प्रतिज्ञा कभी नहीं तोड़ेगी। भले ही वह आजन्म कुमारी रह जाय।"
"जानता हूँ, आचार्यवर, अच्छी तरह जानता हूँ। वह आपकी आदर्श शिष्या है, और........और वह मेरी, राजा पुरंदर की बेटी है। निश्चय ही वह अपनी प्रतिज्ञा प्राण देकर भी पालेगी। ओह, अरे कोई है"- राजा पुरन्दर ने पुकार लगाई। द्वारपाल दौड़ता हुआ उपस्थित
हुआ
"आज्ञा महाराज !" "मन्त्रीवर को तुरन्त यहाँ भेज दो।"
राजा की आज्ञा पाकर द्वारपाल दौड़ता हुआ चला गया। उसके चले जाने पर राजा ने गम्भीर मुद्रा में आचार्य से कहा___ "विचार करना पड़ेगा। कोई समाधान खोजना पड़ेगा । और समाधान क्या-राधावेध का आयोजन ही करना पड़ेगा। आगे बेटी का भाग्य........."
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