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राजा ने स्पष्ट किया-
" दानवो ! अगली पूर्णिमा को मैं तुम्हें पहले खिलाऊँगा और देवों को बाद में । लेकिन इस बार मेरी एक शर्त होगी । उस शर्त के साथ यदि तुमने भोजन कर लिया तो देवों की तरह प्रथम पूज्य मानकर हमेशा तुम्हें ही पहले खिलाया जायेगा और तुम्हारे मनोभाव की भी परीक्षा हो जायेगी ।"
उत्सुक होकर सभी असुरों ने पूछा
सुर-असुर का भेद | १५७
" कौन-सी शर्त है ? "
राजा ने बताया
"तुम्हारी दोनों बाँहों को बाँहों के बराबर दो डण्डों से बाँध दिया जायेगा। ऐसा ही देवताओं के साथ भी किया जायेगा। इस बन्धन के साथ पहले तुम भोजन करोगे और फिर देवों की बारी आयेगी । यदि बँधी हुई भुजाओं से तुमने भरपेट भोजन पा लिया तो तुम भी देवों की तरह हमेशा पहले भोजन करोगे ।"
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दानवों ने राजा की शर्त मान ली । पूर्णिमा के दिन सभी दानव भोजन करने बैठे । राजा ने सबको भोजन परोसा | नाना प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों के रूप और गन्ध से दानवों के मुँह में पानी भर आया । उन्होंने भोजन करना शुरू किया । लेकिन बाँहें मुड़ी ही नहीं । हाथ सीधा तना रहा, बहुतेरी कोशिश की पर मुँह तक ग्रास
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