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शूल को त्रिशूल | १४६ चिट्ठा खोलते हुए कहा__“जो किसी दूसरे का बुरा सोचता है, उसका बुरा पहले होता है। ___ जो दूसरे के लिए शूल बिछाता है, उसके लिए त्रिशूल भी तैयार रहता है। कहा गया है
बुरे का नतीजा हमेशा बुरा है।
कांटे को काँटा, छुरे को छुरा है ॥ पुरोहित ने गरीब ब्राह्मण का बुरा चाहा, उसका परिणाम आप सबके सामने है।"
राजा ने दण्डस्वरूप पुरोहित को देश निकाला दिया और उस गरीब ब्राह्मण को राजपुरोहित के पद पर अभिषिक्त किया।
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